text
stringlengths 10
710
| label
class label 6
classes |
---|---|
वहाँ उसने उन सबको रेत से मलकर साफ़ किया और अच्छी तरह अपनी कमीज़ से पोंछ लिया। | 44
|
पन्ना— उनका जी चाहे, एक घर में रहें, जी चाहे आँगन में दीवार डाल लें। | 22
|
पिछले साल जब उसने अपने से ड्यौढ़े जवान को नागपंचमी के दिन दंगल में पछाड़ दिया, तो उन्होंने पुलकित होकर अखाड़े में ही जा कर उसे गले लगा लिया था, पॉँच रुपये के पैसे लुटाये थे। | 11
|
इस प्रकार के नीरव द्वन्द्व का गोपनीय आघात-प्रतिघात प्रकट संघर्ष की अपेक्षा कहीं अधिक कष्टदायक होता है, यह बात उन समवयस्कों से छिपाना कठिन है जो कि विवाहित दुनिया की सैर कर चुके हों। | 11
|
एकान्त कुंज की कली-सी प्रणय के वासन्ती मलयस्पर्श से हिल उठती,विकास के लिए व्याकुल हो रही है। | 11
|
वह मां के पास गई, मां कोई पुस्तक देख रही थी। | 44
|
वह किसके सहारे रहेगी? | 22
|
खेती की जैसी सेवा होनी चाहिए, वह उससे न हो पाती। | 11
|
कभी-कभी जब मैं ऊपर की छत पर जाकर उस घर की कथा समझने का प्रयास करती, तब मुझे मैली धोती लपेटे हुए बिंदा ही आँगन से चौके तक फिरकनी-सी नाचती दिखाई देती। | 11
|
अगले महीने उस की शादी नसीमा के इस भाई से हो गई जिस में नसीमा शरीक न हुई। | 44
|
हिस्स! गाड़ीवानी करो मुफ्त! आधीदारी की कमाई से बैलों के ही पेट नहीं भरते। | 33
|
पासी हफ्ते में तीन दिन हिरन, चौगड़े और बनैले सुअर खदेड़कर फाँसते हैं। | 11
|
वो अपने व्यपार में मगन था। | 11
|
उस की आँखों के गर्द गहरे सियाह हलक़े पड़ने लगे। | 44
|
सामने जितनी दूर तक दृष्टि जाती, छुट्टी धू-धू कर रही थी; | 11
|
गौरी उनकी एकमात्र संतान थी। | 11
|
‘पछताओगी काकी, उसका मिजाज अच्छा नहीं है। | 22
|
यह बातें बताती थीं कि समय की मार ने भी उन्हें, उनके मूल रूप को बदल नहीं था। | 11
|
अभी ही टीसन जा कर माल लादना है। | 22
|
सूरज दो बाँस ऊपर आ गया था। | 44
|
इतनी कड़ी सजा उसे न मिलनी चाहिए। | 0no label
|
यह कहकर पन्ना ने मुलिया की ओर संकेतपूर्ण दृष्टि से देखकर कहा — तुम्हें वह अलग न रहने देगा बहू, कहता है, भैया हमारे लिए मर गये तो हम भी उनके बाल-बच्चों के लिए मर जायँगे। | 22
|
सारंग देव ग्राम के सामने .... . | 11
|
सुबह मैं डिब्बी लाया और इस समय गायब हो गई। | 22
|
लडक़ी के मुँह से हल्की-सी ‘ओह’ निकली। | 44
|
ए मैया, एक अँगुली गुड़ दे दे बिरजू ने तलहथी फैलाई- दे ना मैया, एक रत्ती भर!'' एक रत्ती क्यों, उठाके बरतन को फेंक आती हूँ | 22
|
ब्याह के दूसरे साल जिस का ख़ाविंद मर गया था। | 11
|
अर्जुन अप्रतिभ होकर दबी आवाज में एक छोटी सी ‘हूँ’ करके, सिर झुकाकर रह गया। | 44
|
जब उसने गेहुँएँ | 44
|
बड़ी बहुरिया बथुआ साग उबालकर खा रही होगी। | 44
|
हिरामन का बहुत प्रिय गीत है यह। | 11
|
फिर यकायक उसके कानों में पाज़ेब की खनक सुनाई दी। | 44
|
मुझे तो विश्वास होता जा रहा है कि कुछ वर्ष तक पहुँचा देगी, चाहे उसके हिसाब से मुझे 150 वर्ष की असम्भव आयु का भार क्यों न ढोना पड़े। | 22
|
अप्रसन्न होकर मैंने कहा, “मोर के क्या सुर्खाब के पर लगे हैं। है तो पक्षी ही। | 22
|
काठ गोदाम एक छोटा सा गाँव था। | 11
|
लेकिन उन्होंने मुझे नहीं देखा। | 44
|
अब बेनीमाधव सिंह भी गरमाये। | 44
|
धीरे-धीरे दोनों मोर बच्चे बढ़ने लगे। | 11
|
एक दिन वह आम से उतरी ही थी कि कजली ( अल्सेशियन कुत्ती ) सामने पड़ गई। | 44
|
‘‘हरगोबिन भाई, क्या हुआ तुमको...’’ ‘‘बड़ी बहुरिया ?’’ हरगोबिन ने हाथ से टटोलकर देखा, वह बिछावन पर लेटा हुआ है। | 44
|
दोपहर का खाना शाम को और शाम का खाना आधी रात को खाते हैं। | 22
|
मुझे मालूम हुआ, चतुरी कबीर-पदावली का विशेषज्ञ है। | 11
|
बोला, लगता हैं आप जाति के सरदार हैं! ठीक है, जब आप सरदार होकर खुद पंचलैट खरीदने आए हैं तो जाइए, पूरे पाँच कौड़ी में आपको दे रहे हैं। | 22
|
इतने बड़े कालेज में कितने लड़के पढ़ते होंगे? | 11
|
बिंदा मेरी उस समय की बाल्य सखी थी, जब मैंने जीवन और मृत्यु का अमिट अन्तर जान नहीं पाया था। | 11
|
पन्ना सन्नाटे में आ गयी। | 44
|
आख़िर उस ने बड़ी जुर्रत से काम लिया और उसे कहा “सीमा”। | 44
|
हम सोच रहे थे हम उस की क्या मदद कर सकते हैं? ” | 22
|
भोले ने दोनों हाथ मेरे गालों की झुर्रियों पर रक्खे। | 44
|
आज उसने दिन भर कुछ नहीं खाया। | 11
|
रसीला एक नया मरम्मत किया हुआ छाज हाथ में लिए अंदर दाख़िल हुआ। | 11
|
क्या तुम्हारी स्मृति केवल लाभ पर ही दृष्टि रखती है? | 22
|
हिरामन ने देखा, लहसनवाँ का चेहरा तमतम गया है। | 44
|
कुकुर नहीं, कुकुर नहीं…कुकुर को भगाओ !’’ बीमार नौजवान छप्-से पानी में उतर गया – | 22
|
चुनांचे हर एक मुसलमान ने एक काफ़िर की लाश अपने कंधे पर उठा रखी थी जिसने जान बचा कर गांव से भागने की कोशिश की थी। | 44
|
सुना है, रात को जिन्नात आकर खरीद ले जाते हैं। | 22
|
मकई के भट्टों का रंग ज़मीन की तरह भूरा होता गया। | 11
|
जो ही देखता, यही कहता कि'' उन्नति हो रही है।'' इन कामों पर अनेक-अनेक लोग लगाये गये और उनके कामों की देख-रेख करने पर और भी अनेक-अनेक लोग लगे। | 44
|
बड़ी खेलाड़ औरत है। तेरह-तेरह देहाती लठैत पाल रही है। | 11
|
उसकी यादों का सारा तिलिस्म टूट चुका था और वह अब तक वहाँ बहुत अटपट-सा महसूस करने लगा था। | 11
|
मुझे उसकी ठोड़ी की तराश बहुत सुन्दर लगी। | 44
|
दो घंटे बाद बहुत समझाने-पुचकारने के उपरान्त ही उसे घर पहुँचाया जा सका। | 11
|
उस के बदन में जितने हवास थे, जितने एहसास थे, जितने जज़्बात थे सब खिंच कर उसकी आँखों में आगए थे। | 11
|
ख़याल था दो-एक प्लेटें और लग जाएँगी। | 22
|
पचास गज़ दूर से समुद्र की उमड़ती लहरों का शब्द सुनाई दे रहा था। | 11
|
महादेव घर पहुँचा, तो अभी कुछ अँधेरा था। | 11
|
फिर दो-चार रुपये डालकर सफ़ेदी करा देंगे। | 22
|
आखिर मेरे सीने में भी तो इन्सान का दिल है। | 22
|
जिस घर में उसने राज किया, उसमें अब लौंडी न बनेगी। | 44
|
मग़्विया औरतें और उनके लवाहिक़ीन कुछ देर एक दूसरे को देखते रहे और फिर सर झुकाए अपने अपने बर्बाद घरों को फिर से आबाद करने के काम पर चल दिए। | 11
|
पर जब करम सिंह गाँव आता, तो कुँए पे नहाने वालों की भीड़ बढ़ जाती। | 11
|
इच्छा थी कि उसका सर दबाकर स्वयं प्रहार करें। | 11
|
रग्घू लड़कों को लेकर बाग से लौटा, तो देखा मुलिया अभी तक झोंपड़े में खड़ी है। | 44
|
उसके कपड़ों और पीठ पर बँधी टोकरी से ज़ाहिर था कि वह वहाँ की कोयला बेचनेवाली लड़कियों में से है। | 11
|
अब वो हर साल दो मर्तबा चाँद और सूरज से बदला लेते हैं और होली सोचती थी। | 11
|
उसकी निश्चिंत खुशी को देखकर भीतर-ही-भीतर शशि की छाती फटने लगी। | 44
|
हिरामन ने दो दिन तक नाक से कपड़े की पट्टी नहीं खोली थी। | 44
|
जिन्दगी-भर ताना कौन सहे! बात-बात में दूसरे टोले के लोग कूट करेंगे-तुम लोगों का पंचलैट पहली बार दूसरे के हाथ से! न, न! पंचायत की इज्जत का सवाल है। | 22
|
ये पूरे चांद की हुसैन पाकीज़ा रात किसी कुँवारी के बे छूए जिस्म की तरह मुहब्बत के मुक़द्दस लम्स की मुंतज़िर है। | 11
|
मुंह में शब्द ही न थे। | 11
|
दूर ज़ोर-ज़ोर के कहकहे लग रहे थे और हाथों में थालियाँ लिये छायाएँ इधर-उधर घूम रही थीं। | 11
|
एक छोटी सी नहर के ज़रिये तालाब का पानी घाट की तरफ़ खींच लिया जाता था। | 11
|
कुन्ती भी बहुत खुश थी। | 11
|
पंचलैट बालना कनेली बोली। | 22
|
यही कारण है कि सवेरे के समय अपने छोटे- से कमरे में मेज के सामने बैठकर उस काबुली से गप-शप लड़ाकर बहुत कुछ भ्रमण का काम निकाल लिया करता हूँ। | 11
|
ऐसी कन्या को जन्म देकर, जिसके लिए वर ही न मिलता हो, कुन्ती स्वयं ही जैसे अपराधिन हो रही थी। | 11
|
ठीक ही तो! महाबीर जी का रोट तो बाकी ही है। | 22
|
दूर क्षितिज के पास मछुआ-नावों की बत्तियाँ टिमटिमा रही थीं। | 11
|
दमन का चक्र अपने पूर्ण वेग से चल रहा था। | 11
|
इसी समय इंग्लैंड से शिक्षा प्राप्त कर राजकुमार घर लौटे थे, और दो-तीन बार हिरनी को बुला चुके थे। | 11
|
नारायण का भी डर नहीं। | 11
|
माया ने भोले को गोद में उठाते हुए और प्यार करते हुए कहा। “शायद सुबह को आ जाएँ। | 44
|
मुलिया— तो मेरा इन लोगों के साथ निबाह न होगा। | 22
|
आख़िर में सुखी से शक्ल और अक़्ल में बढ़ चढ़ कर नहीं? | 22
|
पन्ना को चारों ओर अंधेरा- ही- अंधेरा दिखाई देता था। | 11
|
कुछ दूर उस पर खड़ंजा बिछा था जिसकी ईंटें बीच-बीच में नीचे धँस गई थीं और कहीं-कहीं इतना ऊपर उठी थीं कि पेट्रोल की टंकी में लगने से बचाने के लिए ड्राइवर को गाड़ी बहुत धीमी चलानी पड़ रही थी। | 11
|
पंचलैट का बक्सा दुकान का नौकर देना नहीं चाहता था। | 11
|
मगर इतनी मकरूह शक्ल में कि वो ख़ुद उसे देखने से घबराता था। | 11
|
चपरासी फिर भी बड़बड़ाता रहा," कमीना आदमी, दफ़्तर में आकर गाली देता है। | 44
|
" देवयानी-" परंतु क्या तुम कह सकते हो कि तुम्हारे नेत्रों ने पुस्तकों के अतिरिक्त और किसी वस्तु पर दृष्टि नहीं डाली? | 22
|
Subsets and Splits
No community queries yet
The top public SQL queries from the community will appear here once available.