Datasets:
Ganpati Bappa Morya
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- 1_devi_puran_info.csv +318 -0
0_devi_puran.csv
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1_devi_puran_info.csv
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@@ -0,0 +1,318 @@
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skanda,adhyaya_number,adhyaya_title,shloka_count
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2 |
+
1,१.१,प्रथमोऽध्यायः । शौनकप्रश्नः ।,26
|
3 |
+
1,१.२,द्वितीयोऽध्यायः । ग्रन्थसङ्ख्याविषयवर्णनम् ।,41
|
4 |
+
1,१.३,तृतीयोऽध्यायः । पुराणवर्णनपूर्वकतत्तद्युगीयव्यासवर्णनम् ।,44
|
5 |
+
1,१.४,चतुर्थोऽध्यायः । देवीसर्वोत्तमेतिकथनम् ।,66
|
6 |
+
1,१.५,पञ्चमोऽध्यायः । हयग्रीवावतारकथनम् ।,113
|
7 |
+
1,१.६,षष्ठोऽध्यायः । मधुकैटभयोर्युद्धोद्योगवर्णनम् ।,45
|
8 |
+
1,१.७,सप्तमोऽध्यायः । विष्णुप्रबोधः ।,51
|
9 |
+
1,१.८,अष्टमोऽध्यायः । आराध्यनिर्णयवर्णनम् ।,52
|
10 |
+
1,१.९,नवमोऽध्यायः । हरिकृतमधुकैटभवधवर्णनम् ।,88
|
11 |
+
1,१.१०,दशमोऽध्यायः । शिववरदानवर्णनम् ।,37
|
12 |
+
1,१.११,एकादशोऽध्यायः । बुधोत्पत्तिः ।,87
|
13 |
+
1,१.१२,द्वादशोऽध्यायः । सुद्युम्नस्तुतिः ।,54
|
14 |
+
1,१.१३,त्रयोदशोऽध्यायः । पुरूरवस उर्वश्याश्च चरित्रवर्णनम् ।,35
|
15 |
+
1,१.१४,चतुर्दशोऽध्यायः । व्यासेन गृहस्थधर्मवर्णनम् ।,71
|
16 |
+
1,१.१५,पञ्चदशोऽध्यायः । शुकवैराग्यवर्णनम् ।,68
|
17 |
+
1,१.१६,षोडशोऽध्यायः । व्यासोपदेशवर्णनम् ।,62
|
18 |
+
1,१.१७,सप्तदशोऽध्यायः । शुकस्य राजमन्दिरप्रवेशवर्णनम् ।,67
|
19 |
+
1,१.१८,अष्टादशोऽध्यायः । जनकोपदेशवर्णनम् ।,63
|
20 |
+
1,१.१९,एकोनविंशोऽध्यायः । शुकस्य विवाहादिकार्यवर्णनम् ।,61
|
21 |
+
1,१.२०,विंशोऽध्यायः । धृतराष्ट्रादीनामुत्पत्तिवर्णनम् ।,75
|
22 |
+
2,२.१,प्रथमोऽध्यायः । मस्त्यगन्धोत्पत्तिवर्णनम् ।,49
|
23 |
+
2,२.२,द्वितीयोऽध्यायः । व्यासजन्मवर्णनम् ।,53
|
24 |
+
2,२.३,तृतीयोऽध्यायः । प्रतीयसकाशाच्छन्तनुजन्मवर्णनम् ।,61
|
25 |
+
2,२.४,चतुर्थोऽध्यायः । देवव्रतोत्पतिवर्णनम् ।,70
|
26 |
+
2,२.५,पञ्चमोऽध्यायः । देवव्रतप्रतिज्ञावर्णनम् ।,60
|
27 |
+
2,२.६,षष्ठोऽध्यायः । युधिष्ठिरादीनामुत्पत्तिवर्णनम् ।,72
|
28 |
+
2,२.७,सप्तमोऽध्यायः । पाण्डवानां कथानकं मृतानां दर्शनवर्णनम् ।,69
|
29 |
+
2,२.८,अष्टमोऽध्यायः । रुरुचरित्रवर्णनम् ।,50
|
30 |
+
2,२.९,नवमोऽध्यायः । परीक्षिद्राज्ञो गुप्तगृहे वासवर्णनम् ।,52
|
31 |
+
2,२.१०,दशमोऽध्यायः । परीक्षिन्मरणम् ।,69
|
32 |
+
2,२.११,एकादशोऽध्यायः । सर्पसत्रवर्णनम् ।,67
|
33 |
+
2,२.१२,द्वादशोऽध्यायः । श्रोतृप्रवक्तृप्रसङ्गः ।,65
|
34 |
+
3,३.१,प्रथमोऽध्यायः । भुवनेश्वरीवर्णनम् ।,51
|
35 |
+
3,३.२,द्वितीयोऽध्यायः । ब्रह्मादीनाङ्गतिवर्णनम् ।,42
|
36 |
+
3,३.३,तृतीयोऽध्यायः । विमानस्थैर्हरादिभिर्देवीदर्शनम् ।,68
|
37 |
+
3,३.४,चतुर्थोऽध्यायः । विष्णुना कृतं देवीस्तोत्रम् ।,50
|
38 |
+
3,३.५,पञ्चमोऽध्यायः । हरब्रह्मकृतस्तुतिवर्णनम् ।,47
|
39 |
+
3,३.६,षष्ठोऽध्यायः । ब्रह्मणे श्रीदेव्या उपदेशवर्णनम् ।,86
|
40 |
+
3,३.७,सप्तमोऽध्यायः । तत्त्वनिरूपणवर्णनम् ।,53
|
41 |
+
3,३.८,अष्टमोऽध्यायः । गुणानां रूपसंस्थानादिवर्णनम् ।,52
|
42 |
+
3,३.९,नवमोऽध्यायः । गुणानां गुणपरिज्ञानवर्णनम् ।,49
|
43 |
+
3,३.१०,दशमोऽध्यायः । सत्यव्रताख्यानवर्णनम् ।,66
|
44 |
+
3,३.११,एकादशोऽध्यायः । सत्यव्रताख्यानवर्णनम् ।,59
|
45 |
+
3,३.१२,द्वादशोऽध्यायः । अम्बायज्ञविधिवर्णनम् ।,88
|
46 |
+
3,३.१३,त्रयोदशोऽध्यायः । विष्णुनानुष्ठानवर्णनम् ।,59
|
47 |
+
3,३.१४,चतुर्दशोऽध्यायः । युधाजिद्वीरसेनयोर्युद्धार्थं सज्जीभवनम् ।,54
|
48 |
+
3,३.१५,पञ्चदशोऽध्यायः । मनोरमया भारद्वाजाश्रमं प्रति गमनम् ।,62
|
49 |
+
3,३.१६,षोडशोऽध्यायः । युधाजिद्भारद्वाजयोः संवादवर्णनम् ।,61
|
50 |
+
3,३.१७,सप्तदशोऽध्यायः । विश्वामित्रकथोत्तरं राजपुत्रस्य कामबीजप्राप्तिवर्णनम् ।,63
|
51 |
+
3,३.१८,अष्टादशोऽध्यायः । शशिकलया मातरं प्रति सन्देशप्रेषणम् ।,56
|
52 |
+
3,३.१९,एकोनविंशोऽध्यायः । राजसंवादवर्णनम् ।,63
|
53 |
+
3,३.२०,विंशोऽध्यायः । स्वपितरं प्रति शशिकलावाक्यम् ।,72
|
54 |
+
3,३.२१,एकविंशोऽध्यायः । कन्यया स्वपितरं प्रति सुदर्शनेन सह विवाहार्थकथनम् ।,61
|
55 |
+
3,३.२२,द्वाविंशोऽध्यायः । सुदर्शनशशिकलयोर्विवाहवर्णनम् ।,49
|
56 |
+
3,३.२३,त्रयोविंशोऽध्यायः । सुबाहुकृतदेवीस्तुतिवर्णनम् ।,56
|
57 |
+
3,३.२४,चतुर्विंशोऽध्यायः । देवीमहिमवर्णनम् ।,51
|
58 |
+
3,३.२५,पञ्चविंशोऽध्यायः । देवीस्थापनवर्णनम् ।,47
|
59 |
+
3,३.२६,षड्विंशोऽध्यायः । कुमारीपूजावर्णनम् ।,63
|
60 |
+
3,३.२७,सप्तविंशोऽध्यायः । देवीपूजामहत्त्ववर्णनम् ।,58
|
61 |
+
3,३.२८,अष्टाविंशोऽध्यायः । रामचरित्रवर्णनम् ।,69
|
62 |
+
3,३.२९,एकोनत्रिंशोऽध्यायः । लक्ष्मणकृतरामशोकसान्त्वनम् ।,56
|
63 |
+
3,३.३०,त्रिंशोऽध्यायः । रामाय देवीवरदानम् ।,64
|
64 |
+
4,४.१,प्रथमोऽध्यायः । जनमेजयप्रश्नाः ।,49
|
65 |
+
4,४.२,द्वितीयोऽध्यायः । कर्मणो जन्मादिकारणत्वनिरूपणम् ।,61
|
66 |
+
4,४.३,तृतीयोऽध्यायः । दित्या अदित्यै शापदानम् ।,57
|
67 |
+
4,४.४,चतुर्थोऽध्यायः । अधमजगतः स्थितिवर्णनम् ।,54
|
68 |
+
4,४.५,पञ्चमोऽध्यायः । नरनारायणकथावर्णनम् ।,52
|
69 |
+
4,४.६,षष्ठोऽध्यायः । अप्सरां नारायणसमीपे प्रार्थनाकरणम् ।,60
|
70 |
+
4,४.७,सप्तमोऽध्यायः । अहङ्कारावर्तनवर्णनम् ।,56
|
71 |
+
4,४.८,अष्टमोऽध्यायः । प्रह्लादतीर्थयात्रावर्णनम् ।,49
|
72 |
+
4,४.९,नवमोऽध्यायः । प्रह्लादनारायणयोर्युद्धे विष्णोरागमनवर्णनम् ।,57
|
73 |
+
4,४.१०,दशमोऽध्यायः । भृगुशापकारणवर्णनम् ।,51
|
74 |
+
4,४.११,एकादशोऽध्यायः । शुक्रमातुर्वधवर्णनम् ।,58
|
75 |
+
4,४.१२,द्वादशोऽध्या���ः । जयन्त्या शुक्रसहवासवर्णनम् ।,59
|
76 |
+
4,४.१३,त्रयोदशोऽध्यायः । शुक्ररूपेण गुरुणा दैत्यवञ्चनावर्णनम् ।,63
|
77 |
+
4,४.१४,चतुर्दशोऽध्यायः । प्रह्लादेन शुक्रकोपसान्त्वनम् ।,59
|
78 |
+
4,४.१५,पञ्चदशोऽध्यायः । देवीकथनेन दानवानां रसातलं प्रति गमनम् ।,73
|
79 |
+
4,४.१६,षोडशोऽध्यायः । हरेर्नानावतारवर्णनम् ।,29
|
80 |
+
4,४.१७,सप्तदशोऽध्यायः । नारायणवरदानम् ।,55
|
81 |
+
4,४.१८,अष्टादशोऽध्यायः । ब्रह्माणं प्रति विष्णुवाक्यम् ।,61
|
82 |
+
4,४.१९,एकोनविंशोऽध्यायः । देवान् प्रति देवीवाक्यवर्णनम् ।,47
|
83 |
+
4,४.२०,विंशोऽध्यायः । कृष्णावतारकथोपक्रमवर्णनम् ।,90
|
84 |
+
4,४.२१,एकविंशोऽध्यायः । कंसेन देवकीप्रथमपुत्रवधवर्णनम् ।,54
|
85 |
+
4,४.२२,द्वाविंशोऽध्यायः । देवदानवानामंशावतरणवर्णनम् ।,53
|
86 |
+
4,४.२३,त्रयोविंशोऽध्यायः । कंसं प्रति योगमायावाक्यम् ।,54
|
87 |
+
4,४.२४,चतुर्विंशोऽध्यायः । देव्या कृष्णशोकायनोदनम् ।,63
|
88 |
+
4,४.२५,पञ्चविंशोऽध्यायः । पराशक्तेः सर्वज्ञत्वकथनम् ।,84
|
89 |
+
5,५.१,प्रथमोऽध्यायः । योगमायाप्रभाववर्णनम् ।,55
|
90 |
+
5,५.२,द्वितीयोऽध्यायः । महिषासुरोत्पत्तिः ।,51
|
91 |
+
5,५.३,तृतीयोऽध्यायः । भगवतीमाहाम्ये दैत्यसैन्याद्योगः ।,53
|
92 |
+
5,५.४,चतुर्थोऽध्यायः । भयातुरेन्द्रादिदेवैः सुरगुरुणा सह परामर्शवर्णनम् ।,51
|
93 |
+
5,५.५,पञ्चमोऽध्यायः । दैत्यसैन्यपराजयः ।,58
|
94 |
+
5,५.६,षष्ठोऽध्यायः । महिषासुरस्येन्द्रादिदेवैः सह युद्धवर्णनम् ।,56
|
95 |
+
5,५.७,सप्तमोऽध्यायः । शङ्करशरणगमनवर्णनम् ।,60
|
96 |
+
5,५.८,अष्टमोऽध्यायः । देव्याः स्वरूपोद्भववर्णनम् ।,77
|
97 |
+
5,५.९,नवमोऽध्यायः । महिषमन्त्रिणा देवीवार्तावर्णनम् ।,69
|
98 |
+
5,५.१०,दशमोऽध्यायः । मन्त्रीद्वारा महिषासुरेण देव्या सह विवाहप्रस्तावः ।,67
|
99 |
+
5,५.११,एकादशोऽध्यायः । ताम्रकृतं देवीं प्रति विस्रंसनवचनवर्णनम् ।,68
|
100 |
+
5,५.१२,द्वादशोऽध्यायः । देवीपराजयकरणाय दुर्धरप्रबोधवचनम् ।,66
|
101 |
+
5,५.१३,त्रयोदशोऽध्यायः । महिषसेनाधिपबाष्कलदुर्मुखनिपातनवर्णनम् ।,51
|
102 |
+
5,५.१४,चतुर्दशोऽध्यायः । ताम्रचिक्षुराख्यवधवर्णनम् ।,57
|
103 |
+
5,५.१५,पञ्चदशोऽध्यायः । असिलोमबिडालाख्यवधवर्णनम् ।,58
|
104 |
+
5,५.१६,षोडशोऽध्यायः । महिषद्वारा देवीप्रबोधनम् ।,66
|
105 |
+
5,५.१७,सप्तदशोऽध्यायः । राजपुत्रीमन्दोदरीवृत्तवर्णनम् ।,62
|
106 |
+
5,५.१८,अष्टादशोऽध्यायः । महिषासुरवधः ।,71
|
107 |
+
5,५.१९,एकोनविंशोऽध्यायः । देवीसान्त्वनम् ।,44
|
108 |
+
5,५.२०,विंशोऽध्यायः । महिषवधानन्तरं पृथिवीसुखवर्णनम् ।,51
|
109 |
+
5,५.२१,एकविंशोऽध्यायः । शुम्भनिश���म्भद्वारा स्वर्गविजयवर्णनम् ।,62
|
110 |
+
5,५.२२,द्वाविंशोऽध्यायः । देवकृतदेव्याराधनवर्णनम् ।,58
|
111 |
+
5,५.२३,त्रयोविंशोऽध्यायः । देव्या सुग्रीवदूताय स्वव्रतकथनम् ।,66
|
112 |
+
5,५.२४,चतुर्विंशोऽध्यायः । देवीमाहात्म्ये देवीपार्श्वे धूम्रलोचनदूतप्रेषणम् ।,61
|
113 |
+
5,५.२५,पञ्चविंशोऽध्यायः । देव्यासह युद्धाय चण्डमुण्डप्रेषणम् ।,61
|
114 |
+
5,५.२६,षड्विंशोऽध्यायः । चण्डमुण्डवधेन देव्याश्चामुण्डेतिनामवर्णनम् ।,65
|
115 |
+
5,५.२७,सप्तविंशोऽध्यायः । रक्तबीजद्वारा देवीसमीपे शुम्भनिशुम्भसंवादवर्णनम् ।,64
|
116 |
+
5,५.२८,अष्टाविंशोऽध्यायः । रक्तबीजद्वारा देवीसमीपे शुम्भनिशुम्भसंवादवर्णनम् ।,64
|
117 |
+
5,५.२९,एकोनत्रिंशोऽध्यायः । देव्यासह युद्धकरणाय निशुम्भप्रयाणम् ।,61
|
118 |
+
5,५.३०,त्रिंशोऽध्यायः । युद्धात्प्रत्यागतानां रक्षसां शुम्भाय वार्तावर्णनम् ।,64
|
119 |
+
5,५.३१,एकत्रिंशोऽध्यायः । शुम्भवधः ।,67
|
120 |
+
5,५.३२,द्वात्रिंशोऽध्यायः । सुरथराजसमाधिवैश्ययोर्मुनिसमीपे गमनम् ।,64
|
121 |
+
5,५.३३,त्रयस्त्रिंशोऽध्यायः । देवीमाहात्म्यवर्णनम् ।,66
|
122 |
+
5,५.३४,चतुस्त्रिंशोऽध्यायः । भगवत्याः पूजाराधनविधिवर्णनम् ।,45
|
123 |
+
5,५.३५,पञ्चत्रिंशोऽध्यायः । सुरथराजसमाधिवैश्ययोर्देवीभक्त्येष्टप्राप्तिवर्णनम् ।,55
|
124 |
+
6,६.१,प्रथमोऽध्यायः । त्रिशिरसस्तपोभङ्गाय देवराजेन्द्रद्वारा नानोपायचिन्तनवर्णनम् ।,61
|
125 |
+
6,६.२,द्वितीयोऽध्यायः । त्रिशिरवधानन्तरं वृत्रोत्पत्तिवर्णनम् ।,54
|
126 |
+
6,६.३,तृतीयोऽध्यायः । ब्रह्मणः समाराधनाय त्वष्ट्रा वृत्रोपदेशवर्णनम् ।,61
|
127 |
+
6,६.४,चतुर्थोऽध्यायः । ब्रह्मनेतृत्वे सेन्द्रैः सुरैर्विष्णोः शरणगमनवर्णनम् ।,63
|
128 |
+
6,६.५,पञ्चमोऽध्यायः । देवीसमाराधनाय देवकृतस्तुतिवर्णनम् ।,60
|
129 |
+
6,६.६,षष्ठोऽध्यायः । छद्मेनेन्द्रेण फेनद्वारा पराशक्तिस्मरणमूर्वकं वृत्रहननवर्णनम् ।,69
|
130 |
+
6,६.७,सप्तमोऽध्यायः । इन्द्रस्य पद्मनालप्रवेशानन्तरं नहुषस्य देवेन्द्रपदेऽभिषेकवर्णनम् ।,63
|
131 |
+
6,६.८,अष्टमोऽध्यायः । इन्द्राण्या शक्रदर्शनम् ।,72
|
132 |
+
6,६.९,नवमोऽध्यायः । नहुषस्वर्गच्युतिवर्णनम् ।,68
|
133 |
+
6,६.१०,दशमोऽध्यायः । कर्मणां गहनगतिवर्णनम् ।,42
|
134 |
+
6,६.११,एकादशोऽध्यायः । युगधर्मव्यवस्थावर्णनम् ।,66
|
135 |
+
6,६.१२,द्वादशोऽध्यायः । हरिश्चन्द्रस्य जलोदरव्याधिपीडावर्णनम् ।,75
|
136 |
+
6,६.१३,त्रयोदशोऽध्यायः । आडीबकयुद्ध वर्णनसहितं देवीमाहात्म्यवर्णनम् ।,55
|
137 |
+
6,६.१४,चतुर्दशोऽध्यायः । वसिष्ठस्��� मैत्रावरुणिरितिनामवर्णनम् ।,70
|
138 |
+
6,६.१५,पञ्चदशोऽध्यायः । देवीमहिम्नि नानाभाववर्णनम् ।,63
|
139 |
+
6,६.१६,षोडशोऽध्यायः । हैहयैर्धनाहरणेन सह भृगूणां वधवर्णनम् ।,56
|
140 |
+
6,६.१७,सप्तदशोऽध्यायः । हैहयानामुत्पत्तिप्रसङ्गे रमाविष्णुसंवादवर्णनम् ।,70
|
141 |
+
6,६.१८,अष्टादशोऽध्यायः । शिवप्रसादेन लक्ष्मीद्वारा भगवत्याः समाराधनवर्णनम् ।,63
|
142 |
+
6,६.१९,एकोनविंशोऽध्यायः । पुत्रजन्मानन्तरं स्वस्वरूपेण वैकुण्ठगमनवर्णनम् ।,56
|
143 |
+
6,६.२०,विंशोऽध्यायः । एकवीराख्यानवर्णनम् ।,55
|
144 |
+
6,६.२१,एकविंशोऽध्यायः । राजपुत्र्याः एकावल्याः वर्णनम् ।,62
|
145 |
+
6,६.२२,द्वाविंशोऽध्यायः । हैहयैकवीराय यशोवत्यैकावलीमोचनाय देवीस्वप्नवर्णनम् ।,66
|
146 |
+
6,६.२३,त्रयोविंशोऽध्यायः । एकवीरैकावल्योर्विवाहवर्णनम् ।,67
|
147 |
+
6,६.२४,चतुर्विंशोऽध्यायः । अम्बिकायाः नियोगात्पुत्रोत्पादनाय गर्भधारणवर्णनम् ।,62
|
148 |
+
6,६.२५,पञ्चविंशोऽध्यायः । व्यासस्वकीयमोहवर्णनम् ।,64
|
149 |
+
6,६.२६,षड्विंशोऽध्यायः । दमयन्तीविवाहप्रस्ताववर्णनम् ।,58
|
150 |
+
6,६.२७,सप्तविंशोऽध्यायः । नारदस्य मायादमयन्त्या सह विवाहवर्णनम् ।,56
|
151 |
+
6,६.२८,अष्टाविंशोऽध्यायः । नारदेन स्वस्त्रीत्वप्राप्तिवर्णनम् ।,55
|
152 |
+
6,६.२९,एकोनत्रिंशोऽध्यायः । नारदस्य पुनः स्वरूपप्राप्तिवर्णनम् ।,67
|
153 |
+
6,६.३०,त्रिंशोऽध्यायः । मायाप्राबल्यवर्णनम् ।,54
|
154 |
+
6,६.३१,एकत्रिंशोऽध्यायः । भगवतीमाहात्म्यवर्णनम् ।,61
|
155 |
+
7,७.१,प्रथमोऽध्यायः । दक्षप्रजापतिवर्णनम् ।,39
|
156 |
+
7,७.२,द्वितीयोऽध्यायः । शर्यातिराजवर्णनम् ।,66
|
157 |
+
7,७.३,तृतीयोऽध्यायः । च्यवनसुकन्ययोर्गार्हस्थ्यवर्णनम् ।,65
|
158 |
+
7,७.४,चतुर्थोऽध्यायः । अश्विनीकुमारयोः सुकन्यां प्रति बोधवचनवर्णनम् ।,57
|
159 |
+
7,७.५,पञ्चमोऽध्यायः । अश्विभ्यां च्यवनद्वारा सोमपानाय प्रतिज्ञावर्णनम् ।,59
|
160 |
+
7,७.६,षष्ठोऽध्यायः । च्यवनेश्विनोः कृते सोमपानाधिकारत्वचेष्टावर्णनम् ।,62
|
161 |
+
7,७.७,सप्तमोऽध्यायः । रेवतस्य रेवतीवरार्थं ब्रह्मलोकगमनवर्णनम् ।,53
|
162 |
+
7,७.८,अष्टमोऽध्यायः । इक्ष्वाकुवंशवर्णनम् ।,57
|
163 |
+
7,७.९,नवमोऽध्यायः । मान्धातोत्पत्तिवर्णनम् ।,64
|
164 |
+
7,७.१०,दशमोऽध्यायः । सत्यव्रताख्यानवर्णनम् ।,58
|
165 |
+
7,७.११,एकादशोऽध्यायः । सत्यव्रताय राजनीत्युपदेशवर्णनम् ।,53
|
166 |
+
7,७.१२,द्वादशोऽध्यायः । त्रिशङ्कूपाख्यानवर्णनम् ।,65
|
167 |
+
7,७.१३,त्रयोदशोऽध्यायः । त्रिशङ्कुशापोद्धाराय विश्वामित्रसान्त्वनवर्णनम् ।,63
|
168 |
+
7,७.१४,चतुर्दशोऽध्यायः । वरुणकृपया शैव्यायां पुत्रोप्तत्तिवर्णनम् ।,56
|
169 |
+
7,७.१५,पञ्चदशोऽध्यायः । हरिश्चन्द्रस्य जलोदरव्याधिप्राप्तिवर्णनम् ।,67
|
170 |
+
7,७.१६,षोडशोऽध्यायः । यज्ञपशुभूतस्य ब्राह्मणपुत्रस्य वधकरणाय विश्वामित्रनिषेधवर्णनम् ।,60
|
171 |
+
7,७.१७,सप्तदशोऽध्यायः । वसिष्ठविश्वामित्रपणवर्णनम् ।,60
|
172 |
+
7,७.१८,अष्टादशोऽध्यायः । हरिश्चन्द्रद्वारा वृद्धब्राह्मणाय धनदानप्रतिज्ञावर्णनम् ।,59
|
173 |
+
7,७.१९,एकोनविंशोऽध्यायः । कौशिकाय सर्वस्वसमर्पणं तद्दक्षिणादानवर्णनम् ।,64
|
174 |
+
7,७.२०,विंशोऽध्यायः । हरिश्चन्द्रोपाख्यानवर्णनम् ।,47
|
175 |
+
7,७.२१,एकविंशोऽध्यायः । हरिश्चन्द्रोपाख्यानवर्णनम् ।,28
|
176 |
+
7,७.२२,द्वाविंशोऽध्यायः । हरिश्चन्द्रस्य पत्नीपुत्रविक्रयवर्णनम् ।,53
|
177 |
+
7,७.२३,त्रयोविंशोऽध्यायः । हरिश्चन्द्रोपाख्यानवर्णनम् ।,39
|
178 |
+
7,७.२४,चतुर्विंशोऽध्यायः । हरिश्चन्द्रचिन्तावर्णनम् ।,34
|
179 |
+
7,७.२५,पञ्चविंशोऽध्यायः । चाण्डालाज्ञया हरिश्चन्द्रस्य खड्गग्रहणवर्णनम् ।,90
|
180 |
+
7,७.२६,षड्विंशोऽध्यायः । हरिश्चन्द्रोपाख्याने राज्ञो हुताशनप्रवेशोद्योगवर्णनम् ।,74
|
181 |
+
7,७.२७,सप्तविंशोऽध्यायः । हरिश्चन्द्राख्यानश्रवणफलवर्णनम् ।,43
|
182 |
+
7,७.२८,अष्टाविंशोऽध्यायः । शताक्षीचरित्रवर्णनम् ।,84
|
183 |
+
7,७.२९,एकोनत्रिंशोऽध्यायः । भगवतीं समाराधयिषूणां देवानां तपःकरणवर्णनम् ।,46
|
184 |
+
7,७.३०,त्रिंशोऽध्यायः । देवीपीठवर्णनम् ।,103
|
185 |
+
7,७.३१,एकत्रिंशोऽध्यायः । हिमालयगृहे पार्वतीजन्मविषये देवान् प्रति देवीकथनवर्णनम् ।,75
|
186 |
+
7,७.३२,द्वात्रिंशोऽध्यायः । देव्या व्यष्टिसमष्टिरूपवर्णनम् ।,51
|
187 |
+
7,७.३३,त्रयस्त्रिंशोऽध्यायः । श्रीदेवीविराड्रूपदर्शनसहितं देवकृततत्स्तववर्णनम् ।,57
|
188 |
+
7,७.३४,चतुस्त्रिंशोऽध्यायः । देवीगीतायां ज्ञानस्य मोक्षहेतुत्ववर्णनम् ।,51
|
189 |
+
7,७.३५,पञ्चत्रिंशोऽध्यायः । देवीगीतायां मन्त्रसिद्धिसाधनवर्णनम् ।,64
|
190 |
+
7,७.३६,षट्त्रिंशोऽध्यायः । देवीगीतायां ब्रह्मविद्योपदेशवर्णनम् ।,31
|
191 |
+
7,७.३७,सप्तत्रिंशोऽध्यायः । देवीगीतायां भक्तिमहिमावर्णनम् ।,46
|
192 |
+
7,७.३८,अष्टत्रिंशोऽध्यायः । देवीगीतायां महोत्सवव्रतस्थानवर्णनम् ।,50
|
193 |
+
7,७.३९,एकोनचत्वारिंशोऽध्यायः । देवीगीतायां श्रीदेव्याः पूजाविधिवर्णनम् ।,48
|
194 |
+
7,७.४०,चत्वारिंशोऽध्यायः । देवीगीतायां बाह्यपूजाविधिवर्णनम् ।,45
|
195 |
+
8,८.१,प्रथमोऽध्यायः । भुवनकोशप्रसङ्गे देव्या मनवे वरदानवर्णनम् ।,49
|
196 |
+
8,८.२,द्वि��ीयोऽध्यायः । धरण्युद्धारवर्णनम् ।,39
|
197 |
+
8,८.३,तृतीयोऽध्यायः । भुवनकोशविस्तारे स्वायम्भुवमनुवंशकीर्तनम् ।,38
|
198 |
+
8,८.५,पञ्चमोऽध्यायः । भुवनलोकवर्णने द्वीपवर्षविभेदवर्णनम् ।,32
|
199 |
+
8,८.६,षष्ठोऽध्यायः । भुवनकोशवर्णनेऽरुणोदादिनदीनां निसर्गस्थानवर्णनम् ।,33
|
200 |
+
8,८.७,सप्तमोऽध्यायः । भुवनकोशवर्णने पर्वतनदीवर्षादिवर्णनम् ।,38
|
201 |
+
8,८.८,अष्टमोऽध्यायः । भुवनकोशवर्णने इलावृतभद्राश्ववर्षवर्णनम् ।,30
|
202 |
+
8,८.९,नवमोऽध्यायः । भुवनकोशवर्णने हरिवर्षकेतुमालरम्यकवर्षवर्णनम् ।,24
|
203 |
+
8,८.१०,दशमोऽध्यायः । भुवनकोशवर्णने हिरण्मयकिम्पुरुषवर्षवर्णनम् ।,21
|
204 |
+
8,८.११,एकादशोऽध्यायः । भुवनकोशवर्णने भारतवर्षवर्णनम् ।,34
|
205 |
+
8,८.१२,द्वादशोऽध्यायः । भुवनकोशवर्णने प्लक्षद्वीपकुशद्वीपवर्णनम् ।,38
|
206 |
+
8,८.१३,त्रयोदशोऽध्यायः । भुवनकोशवर्णने क्रौञ्चशाकपुष्करद्वीपवर्णनम् ।,37
|
207 |
+
8,८.१४,चतुर्दशोऽध्यायः । सूर्यगतिवर्णनम् ।,30
|
208 |
+
8,८.१५,पञ्चदशोऽध्यायः । भुवनकोशवर्णने सूर्यगतिवर्णनम् ।,45
|
209 |
+
8,८.१६,षोडशोऽध्यायः । सोमादिगतिवर्णनम् ।,37
|
210 |
+
8,८.१७,सप्तदशोऽध्यायः । ध्रुवमण्डलसंस्थानवर्णनम् ।,30
|
211 |
+
8,८.१८,अष्टादशोऽध्यायः । राहुमण्डलाद्यवस्थानवर्णनम् ।,35
|
212 |
+
8,८.१९,एकोनविंशोऽध्यायः । अतलवितलसुतललोकवर्णनम् ।,33
|
213 |
+
8,८.२०,विंशोऽध्यायः । तलातलादिलोकवर्णनेऽनन्तवर्णनम् ।,38
|
214 |
+
8,८.२१,एकविंशोऽध्यायः । नरकस्वरूपवर्णनम् ।,29
|
215 |
+
8,८.२२,द्वाविंशोऽध्यायः । नरकप्रदपातकवर्णनम् ।,53
|
216 |
+
8,८.२३,त्रयोविंशोऽध्यायः । अवशिष्टनरकवर्णनम् ।,31
|
217 |
+
8,८.२४,चतुर्विंशोऽध्यायः । देवीपूजनविधिनिरूपणम् ।,70
|
218 |
+
9,९.१,प्रथमोऽध्यायः । प्रकृतिचरित्रवर्णनम् ।,160
|
219 |
+
9,९.२,द्वितीयोऽध्यायः । पञ्चप्रकृतितद्भर्तृगणोत्पत्तिवर्णनम् ।,89
|
220 |
+
9,९.३,तृतीयोऽध्यायः । ब्रह्मविष्णुमहेश्वरादिदेवतोत्पत्तिवर्णनम् ।,63
|
221 |
+
9,९.४,चतुर्थोऽध्यायः । सरस्वतीस्तोत्रपूजाकवचादिवर्णनम् ।,92
|
222 |
+
9,९.५,पञ्चमोऽध्यायः । याज्ञवल्क्यकृतं सरस्वतीस्तोत्रवर्णनम् ।,34
|
223 |
+
9,९.६,षष्ठोऽध्यायः । लक्ष्मीगङ्गासरस्वतीनां भूलोकेऽवतरणवर्णनम् ।,68
|
224 |
+
9,९.७,सप्तमोऽध्यायः । गङ्गादीनां शापोद्धारवर्णनम् ।,55
|
225 |
+
9,९.८,अष्टमोऽध्यायः । नारायणनारदसंवादे कलिमाहात्म्यवर्णनम् ।,111
|
226 |
+
9,९.९,नवमोऽध्यायः । भूमिस्तोत्रवर्णनम् ।,64
|
227 |
+
9,९.१०,दशमोऽध्यायः । पृथिव्युपाख्याने नरकफलप्राप्तिवर्णनम् ।,31
|
228 |
+
9,९.११,एकादशोऽध्यायः । गङ्गोपाख्यानवर्णनम् ।,76
|
229 |
+
9,९.१२,द्वादशोऽध्यायः । गङ्गोपाख्यानवर्णनम् ।,80
|
230 |
+
9,९.१३,त्रयोदशोऽध्यायः । गङ्गोपाख्यानवर्णनम् ।,136
|
231 |
+
9,९.१४,चतुर्दशोऽध्यायः । गङ्गायाः कृष्णपत्नीत्ववर्णनम् ।,24
|
232 |
+
9,९.१५,पञ्चदशोऽध्यायः । नारायणनारदसंवादे शक्तिप्रादुर्भावः ।,52
|
233 |
+
9,९.१६,षोडशोऽध्यायः । महालक्षम्या वेदवतीरूपेण राजगृहे जन्मवर्णनम् ।,65
|
234 |
+
9,९.१७,सप्तदशोऽध्यायः । धर्मध्वजसुतातुलस्युपाख्यानवर्णनम् ।,49
|
235 |
+
9,९.१८,अष्टादशोऽध्यायः । शङ्खचूडेन सह तुलस्याः सङ्गतिवर्णनम् ।,101
|
236 |
+
9,९.१९,एकोनविंशोऽध्यायः । शङ्खचूडेन सह तुलसीसङ्गमवर्णनम् ।,95
|
237 |
+
9,९.२०,विंशोऽध्यायः । शङ्खचूडेन सह देवानां सङ्ग्रामोद्योगवर्णनम् ।,85
|
238 |
+
9,९.२१,एकविंशोऽध्यायः । शङ्खचूडकृते प्रबोधवाक्यवर्णनम् ।,83
|
239 |
+
9,९.२२,द्वाविंशोऽध्यायः । कालीशङ्खचूडयुद्धवर्णनम् ।,76
|
240 |
+
9,९.२३,त्रयोविंशोऽध्यायः । शङ्खचूडवधवर्णनम् ।,31
|
241 |
+
9,९.२४,चतुर्विंशोऽध्यायः । तुलसीमाहात्म्येन सह शालग्राममहत्त्ववर्णनम् ।,102
|
242 |
+
9,९.२५,पञ्चविंशोऽध्यायः । तुलसीपूजाविधिवर्णनम् ।,45
|
243 |
+
9,९.२६,षड्विंशोऽध्यायः । सावित्रीपूजाविधिकथनम् ।,88
|
244 |
+
9,९.२७,सप्तविंशोऽध्यायः । सावित्र्युपाख्याने यमसावित्रीसंवादवर्णनम् ।,26
|
245 |
+
9,९.२८,अष्टाविंशोऽध्यायः । सावित्र्युपाख्याने यमसावित्रीसंवादवर्णनम् ।,31
|
246 |
+
9,९.२९,एकोनत्रिंशोऽध्यायः । सावित्र्युपाख्याने कर्मविपाकवर्णनम् ।,71
|
247 |
+
9,९.३०,त्रिंशोऽध्यायः । यमेन कर्मविपाककथनम् ।,141
|
248 |
+
9,९.३१,एकत्रिंशोऽध्यायः । यमाष्टकवर्णनम् ।,18
|
249 |
+
9,९.३२,द्वात्रिंशोऽध्यायः । सावित्र्युपाख्याने कुण्डसङ्ख्यानिरूपणम् ।,29
|
250 |
+
9,९.३३,त्रयस्त्रिंशोऽध्यायः । नानाकर्मविपाकफलकथनम् ।,127
|
251 |
+
9,९.३४,चतुस्त्रिंशोऽध्यायः । नानाकर्मविपाकफलवर्णनम् ।,92
|
252 |
+
9,९.३५,पञ्चत्रिंशोऽध्यायः । नानाकर्मविपाकफलकथनम् ।,60
|
253 |
+
9,९.३६,षट्त्रिंशोऽध्यायः । देवपूजनात् सर्वारिष्टनिवृत्तिवर्णनम् ।,34
|
254 |
+
9,९.३७,सप्तत्रिंशोऽध्यायः । नानानरककुण्डवर्णनम् ।,118
|
255 |
+
9,९.३८,अष्टत्रिंशोऽध्यायः । सावित्र्युपाख्यानवर्णनम् ।,96
|
256 |
+
9,९.३९,एकोनचत्वारिंशोऽध्यायः । लक्ष्म्युपाख्यानवर्णनम् ।,34
|
257 |
+
9,९.४०,चत्वारिंशोऽध्यायः । लक्ष्म्युत्पत्तिवर्णनम् ।,93
|
258 |
+
9,९.४१,एकचत्वारिंशोऽध्यायः । श्रीलक्ष्म्युपाख्यानवर्णनम् ।,60
|
259 |
+
9,९.४२,द्विचत्वारिंशोऽध्यायः । महालक्ष्म्याः ध्यानस्तोत्रवर्णनम् ।,76
|
260 |
+
9,९.४३,त्रिचत्वारिंशोऽध्यायः । स्वाहोपाख्यानवर्णनम् ।,56
|
261 |
+
9,���.४४,चतुश्चत्वारिंशोऽध्यायः । स्वधोपाख्यानवर्णनम् ।,37
|
262 |
+
9,९.४५,पञ्चचत्वारिंशोऽध्यायः । दक्षिणोपाख्यानवर्णनम् ।,99
|
263 |
+
9,९.४६,षट्चत्वारिंशोऽध्यायः । षष्ठ्युपाख्यानवर्णनम् ।,74
|
264 |
+
9,९.४७,सप्तचत्वारिंशोऽध्यायः । मङ्गलचण्डीमनसयोरुपाख्यानवर्णनम् ।,58
|
265 |
+
9,९.४८,अष्टचत्वारिंशोऽध्यायः । मनसोपाख्यानवर्णनम् ।,146
|
266 |
+
9,९.४९,एकोनपञ्चाशत्तमोऽध्यायः । सुरभ्युपाख्यानवर्णनम् ।,34
|
267 |
+
9,९.५०,पञ्चाशत्तमोऽध्यायः । देव्या आवरणपूजाविधिवर्णनम् ।,101
|
268 |
+
10,१०.१,प्रथमोऽध्यायः । मनुकृतं देवीस्तवनम् ।,25
|
269 |
+
10,१०.२,द्वितीयोऽध्यायः । विन्ध्योपाख्यानवर्णनम् ।,29
|
270 |
+
10,१०.३,तृतीयोऽध्यायः । देवीमाहात्म्ये विन्ध्योपाख्यानवर्णनम् ।,26
|
271 |
+
10,१०.४,चतुर्थोऽध्यायः । रुद्रप्रार्थनम् ।,20
|
272 |
+
10,१०.५,पञ्चमोऽध्यायः । श्रीविष्णुना देवेभ्यो वरप्रदानम् ।,28
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273 |
+
10,१०.६,षष्ठोऽध्यायः । अगस्त्याश्वासनवर्णनम् ।,28
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274 |
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10,१०.७,सप्तमोऽध्यायः । विन्ध्यवृद्ध्यवरोधवर्णनम् ।,27
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275 |
+
10,१०.८,अष्टमोऽध्यायः । मनूत्पत्तिवर्णनम् ।,25
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276 |
+
10,१०.९,नवमोऽध्यायः । चाक्षुषमनुवृत्तवर्णनम् ।,30
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277 |
+
10,१०.१०,दशमोऽध्यायः । सुरथनृपतिवृमत्तवर्णनम् ।,26
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278 |
+
10,१०.११,एकादशोऽध्यायः । देवीमाहात्म्ये मधुकैटभवधवर्णनम् ।,35
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279 |
+
10,१०.१२,द्वादशोऽध्यायः । देवीचरित्रसहितं सावर्णिमनुवृतान्तवर्णनम् ।,93
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280 |
+
10,१०.१३,त्रयोदशोऽध्यायः । भ्रामरीचरित्रवर्णनम् ।,128
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281 |
+
11,११.१,प्रथमोऽध्यायः । मनुकृतं देवीस्तवनम् ।,50
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282 |
+
11,११.२,द्वितीयोऽध्यायः । शौचविधिवर्णनम् ।,43
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283 |
+
11,११.३,तृतीयोऽध्यायः । रुद्राक्षमाहात्म्यवर्णनम् ।,38
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284 |
+
11,११.४,चतुर्थोऽध्यायः । रुद्राक्षमाहात्म्यवर्णनम् ।,41
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285 |
+
11,११.५,पञ्चमोऽध्यायः । रुद्राक्षजपमालाविधानवर्णनम् ।,36
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286 |
+
11,११.६,षष्ठोऽध्यायः । रुद्राक्षमाहात्म्ये गुणनिधिमोक्षवर्णनम् ।,55
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287 |
+
11,११.७,सप्तमोऽध्यायः । रुद्राक्षमाहात्म्यवर्णनम् ।,42
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288 |
+
11,११.८,अष्टमोऽध्यायः । भूतशुद्धिवर्णनम् ।,22
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289 |
+
11,११.९,नवमोऽध्यायः । सशिरोव्रतं त्रिपुण्डधारणवर्णनम् ।,44
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290 |
+
11,११.१०,दशमोऽध्यायः । भस्ममाहात्म्ये पाशुपतव्रतवर्णनम् ।,34
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291 |
+
11,११.११,एकादशोऽध्यायः । त्रिविधभस्ममाहात्म्यवर्णनम् ।,29
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292 |
+
11,११.१२,द्वादशोऽध्यायः । भस्मधारणमाहाम्यवर्णनम् ।,42
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293 |
+
11,११.१३,त्रयोदशोऽध्यायः । त्रिपुण्डधारणमाहात्म्यवर्णनम् ।,36
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294 |
+
11,११.१४,चतुर्दशोऽध्यायः । विभूतिधारणमाहात्म्यवर्णनम् ।,58
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295 |
+
11,११.१५,पञ्चदशोऽध्यायः । त्रिपुण्ड्रोर्ध्वपुण���ड्रधारणविधिवर्णनम् ।,119
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296 |
+
11,११.१६,षोडशोऽध्यायः । सन्ध्योपासननिरूपणम् ।,107
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297 |
+
11,११.१७,सप्तदशोऽध्यायः । सन्ध्यादिकृत्यवर्णनम् ।,48
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298 |
+
11,११.१८,अष्टादशोऽध्यायः । बृहद्रथकथानकम् ।,72
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299 |
+
11,११.१९,एकोनविंशोऽध्यायः । मध्याह्नसन्ध्यावर्णनम् ।,25
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300 |
+
11,११.२०,विंशोऽध्यायः । ब्रह्मयज्ञादिकीर्तनम् ।,55
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301 |
+
11,११.२१,एकविंशोऽध्यायः । गायत्रीपुरश्चरणविधिकथनम् ।,11
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302 |
+
11,११.२२,द्वाविंशोऽध्यायः । वैश्वदेवादिविधिनिरूपणम् ।,46
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303 |
+
11,११.२३,त्रयोविंशोऽध्यायः । तप्तकृच्छ्रादिलक्षणवर्णनम् ।,64
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304 |
+
11,११.२४,चतुर्विंशोऽध्यायः । प्रातश्चिन्तनम् ।,101
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305 |
+
12,१२.१,प्रथमोऽध्यायः । गायत्रीविचारः ।,28
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306 |
+
12,१२.२,द्वितीयोऽध्यायः । गायत्रिशक्त्यादिप्रतिपादनम् ।,19
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307 |
+
12,१२.३,तृतीयोऽध्यायः । गायत्रीमन्त्रकवचवर्णनम् ।,26
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308 |
+
12,१२.४,चतुर्थोऽध्यायः । गायत्रीहृदयम् ।,9
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309 |
+
12,१२.५,पञ्चमोऽध्यायः । श्रीगायत्रीस्तोत्रवर्णनम् ।,29
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310 |
+
12,१२.६,षष्ठोऽध्यायः । गायत्रीसहस्रनामस्तोत्रवर्णनम् ।,165
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311 |
+
12,१२.७,सप्तमोऽध्यायः । मन्त्रदीक्षाविधिवर्णनम् ।,155
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312 |
+
12,१२.८,अष्टमोऽध्यायः । पराशक्तेराविर्भाववर्णनम् ।,93
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313 |
+
12,१२.९,नवमोऽध्यायः । ब्राह्मणादीनां गायत्रीभिन्नान्यदेवोपासनाश्रद्धाहेतुनिरूपणम् ।,101
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314 |
+
12,१२.१०,दशमोऽध्यायः । मणिद्वीपवर्णनम् ।,101
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315 |
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12,१२.११,एकादशोऽध्यायः । पद्मरागादिमणिविनिर्मितप्राकारवर्णनम् ।,111
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316 |
+
12,१२.१२,द्वादशोऽध्यायः । मणिद्वीपवर्णनम् ।,74
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317 |
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12,१२.१३,त्रयोदशोऽध्यायः । जनमेजयेनाम्बामखकरण-देवीभागवतश्रवणपूर्वकं स्वपित्रुद्धारवर्णनम् ।,31
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318 |
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12,१२.१४,चतुर्दशोऽध्यायः । श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण-श्रवणफलवर्णनम् ।,32
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