[ { "poet": "कबीर", "category": "दोहा", "poem": "साँच बराबरि तप नहीं, झूठ बराबर पाप।\nजिसका मन साँच है, तिसका सब जग आप॥" }, { "poet": "तुलसीदास", "category": "भक्ति", "poem": "श्रीरामचंद्र कृपालु भज मन, हरण भवभय दारुणम्।" }, { "poet": "सूरदास", "category": "भक्ति", "poem": "मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो।" }, { "poet": "हरिवंश राय बच्चन", "category": "प्रेरणादायक", "poem": "कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।" }, { "poet": "मीराजी", "category": "ग़ज़ल", "poem": "राहें दिल की इश्क़ की, हमें भी ख़ुदा ने सिखाई हैं।" }, { "poet": "रवींद्रनाथ ठाकुर", "category": "कविता", "poem": "चाहे तो मैं दिन को, रात बना दूं।\nचाहे तो मैं अपनी ख़ुशियाँ तुमसे जोड़ दूं।" }, { "poet": "जयशंकर प्रसाद", "category": "रचनात्मक", "poem": "नयन में बसी हुई चित्रकारी, जीवन को सजाने का हौसला।" }, { "poet": "निराला", "category": "हास्य", "poem": "हर दिन एक नयी नज़र से, क्या देखें हमें विचारों में।" }, { "poet": "बशीर बद्र", "category": "ग़ज़ल", "poem": "वो ख्वाब भी अधूरा था, जो हमें हमेशा सच्चा लगता था।" }, { "poet": "राहत इंदोरी", "category": "ग़ज़ल", "poem": "कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता,\nकहाँ कहीं ऐसा, यहाँ नहीं मिलता।" } ]